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74... शंका नवि चित्त परिये !
शंका- मन्दिर दर्शन के लिए वाहन का प्रयोग कर सकते हैं या नहीं?
समाधान- जब जूते-चप्पल पहनकर पूजा करने नहीं जा सकते तो वाहन पर बैठकर जाना किस प्रकार मान्य हो सकता है? पूर्व काल में राजा-महाराजा भी अपनी सम्पूर्ण ऋद्धि के साथ पैदल चलकर जिन मन्दिर जाया करते थे। वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यदि विचार किया जाए तो क्षेत्रों की बढ़ती व्यापकता एवं दरियों के कारण जो लोग मन्दिरों से पाँच-दस किलोमीटर की दूरी पर रहते हैं उन लोगों के लिए पैदल आना संभव नहीं है। उनके लिए वाहन का प्रयोग करना अपवाद मार्ग है। किन्तु जिनके घरों की दूरी एक-डेढ़ किलोमीटर हो उन्हें पैदल ही जाना चाहिए।
जो लोग रिक्शा-स्कूटर आदि पर बैठकर पूजा करने जाते हैं उन्हें यदि मन्दिर में नहाने की सुविधा हो तो वहीं जाकर पूजा के वस्त्र पहनने चाहिए, रिक्शा आदि में वस्त्र अशुद्ध होने की पूर्ण संभावना रहती है।
शंका- शरीर में घाव हो तो पूजा कर सकते हैं?
समाधान- घाव में यदि पीप आदि रिसती हो तो परमात्मा की पूजा नहीं करनी चाहिए। यदि सामान्य चोट हो तो पट्टी खोलकर या नई पट्टी बाँधकर पूजा कर सकते हैं। पुरानी पट्टी बंधी हो तो पूजा नहीं करनी चाहिए।
शंका- प्लास्टिक की डिब्बियों में केशर-वासक्षेप आदि रखना उचित है?
समाधान- प्लास्टिक को एक अशुद्ध पदार्थ माना जाता है। प्रभु पूजा की सामग्री रखने हेतु उत्तम द्रव्यों का प्रयोग करना चाहिए। अपने सामर्थ्य अनुसार सोना-चाँदी-तांबा या जर्मन सिल्वर की डिब्बियों का प्रयोग करना अधिक औचित्यपूर्ण है।
शंका- एक वर्ष से छोटे बच्चों को पूजा करवा सकते हैं?
समाधान- जन्म के 40 दिन पूर्ण होने के बाद नवजात शिशु को भी पूजा करवा सकते हैं। पूजा करवाते हुए यह सावधानी अवश्य रखनी चाहिए कि बच्चों को पूजा करवाने के बाद गंभारे से शीघ्र बाहर लेकर आ जाएं जिससे मल-मूत्र आदि के कारण उन्हें कोई दोष नहीं लगे।
शंका- मंदिर के पुजारी से श्रावक अपना व्यक्तिगत कार्य करवा सकते हैं?
समाधान- मन्दिर के पुजारी से व्यक्तिगत या गृह कार्य करवाना अनुचित