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________________ x... शंका नवि चित्त धरिये! आपका नाम खुद ही अपना परिचय है। आप किसी अन्य परिचय के मोहताज नहीं है। अनेक वर्षों से आप शीतलनाथ भवन के अध्यक्ष पद पर हैं। इसी प्रकार आप पंचायती मन्दिर, जिनरंगसूरि पौशाल आदि में ट्रस्टी पद पर रह चुके हैं और आज भी सजगता पूर्वक इन पदों का निर्वाह कर रहे हैं। आप एक प्रखर वक्ता एवं समाज के जागरूक श्रावक हैं। आने वाले सभी साधु-साध्वियों का पिता तुल्य ध्यान रखते हैं। आवश्यकता अनुसार सम्यक सुझाव एवं दिशा निर्देश भी देते हैं। आज के समाज में आप जैसे श्रावकों की अल्पता है। आपकी धर्मपत्नी श्रीमती रूबी देवी मुकीम अत्यन्त सरल स्वभावी एवं मिलनसार है। वे नि:स्वार्थ भाव से आपके प्रत्येक धर्म कार्य में सहयोगी बनती है। आपके सुपुत्र दीपकजी आप ही के नक्शे कदम पर चलते हुए समाज सेवा हेतु उद्यत रहते हैं तथा अपने नाम के अनुसार आपकी कान्ति को दीप्त करने वाले हैं। आपकी पुत्रवधू चित्राजी भी आपकी गरिमा को उन्नत करने में तत्पर रहती हैं। साध्वी सौम्याजी के कलकत्ता प्रवास के दौरान उनके शोध कार्य के प्रति आप पूर्ण सचेत रहे। विश्वविद्यालय में शोध प्रबन्ध प्रस्तुत करने के पश्चात पुस्तक प्रकाशन की जिम्मेदारी भी आपने संभाली। आप ही के अमिट स्नेह एवं सहयोग से आज यह उपलब्धि संभव हो पाई है। सज्जनमणि ग्रन्थमाला प्रकाशन यही शुभाशंसा करता है कि आप शतायु हो एवं इसी तरह शासन हित के कार्यों में संलग्न रहकर जिन शासन ज्योति को देदीप्यमान रखें।
SR No.006260
Book TitleShanka Navi Chitta Dharie-Shanka, Samadhan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages152
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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