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कैसे बचें विराधना से? ...69
देव द्रव्य की राशि से चंदन आदि की व्यवस्था की गई हो तो श्रावकों द्वारा उसका उपयोग करना दोषपूर्ण होता है। जो श्रावक मन्दिर के द्रव्य का प्रयोग करते हैं उन्हें उतने परिमाण की राशि देवद्रव्य में जमा कर देनी चाहिए।
शंका- पूजा के भाव से बनियान, स्वेटर, पेन्ट - शर्ट आदि पहनकर मूल गंभारे में प्रवेश कर सकते हैं?
समाधान- पूजा हेतु श्रावकों को अखंड एवं बिना सिले हुए वस्त्र (धोती, दुपट्टा) पहने का विधान है। पैन्ट - शर्ट, कुर्ता-पायजामा, स्वेटर या बनियान आदि पहनकर पूजा करना अविधि एवं दोष पूर्ण है। श्रावक एवं पुजारी दोनों को मूल गंभारे में पूजा के वस्त्रों में मुखकोश बांधकर ही प्रविष्ट होना चाहिए । शंका- पूजा के वस्त्रों में सामायिक कर सकते हैं? समाधान- पूजा के वस्त्रों में सामायिक नहीं करनी चाहिए। शास्त्रानुसार सामायिक के वस्त्र सूती होने चाहिए और पूजा के वस्त्र रेशमी। पूजा के वस्त्र पहनकर सामायिक करने पर मन की भावधारा उतनी अच्छे से जुड़ नहीं सकती। सामायिक में एक ही जगह पर अधिक समय तक बैठने के कारण पसीने आदि से वस्त्र मलिन हो जाते हैं ऐसे वस्त्र पहनकर पूजा करने से परमात्मा की आशातना होती है। यदि कारण विशेष से पूजा के वस्त्र अधिक समय के लिए पहनने पड़े तो उन्हें धोकर फिर प्रयोग में लेना चाहिए ।
शंका- रोग आदि के निवारण हेतु न्हवण जल पी सकते हैं ?
समाधान- न्हवण जल परमात्मा का निर्माल्य द्रव्य है। अतः रोगादि उपशमन या किसी अन्य हेतु से खाने-पीने में इसका प्रयोग नहीं हो सकता। रोग आदि होने पर पूर्वकृत कर्मों का उदय मानकर समभावपूर्वक उन्हें सहज करना चाहिए। रोगोपशमन के लिए न्हवण जल पीना दोषपूर्ण है। परमात्मा के न्हवण • जल को मस्तक आदि श्रेष्ठ अंगों पर लगा सकते हैं।
शंका- जिनालय में कौनसा जाप कर सकते हैं ?
समाधान- जिनालय में नवकार मंत्र, सिद्धचक्र, बीस स्थानक आदि नवपदों का जाप कर सकते हैं, परंतु संघीय जिनालय यदि छोटा हो और दर्शनार्थियों की संख्या अधिक हों तो जाप आदि क्रिया वहाँ नहीं करनी चाहिए। यदि करें तो ऐसे समय और स्थान में करनी चाहिए की अन्य लोगों को क्लेश उत्पन्न न हो।