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________________ जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...27 गुणरत्न संवत्सर तप के यन्त्र का न्यास इस प्रकार है - सर्व-दिन 32 | 16 16 2 30 | 15 15 2 - Foo oIO IN 217773 25 | 5 |5 | 5 | 5 | 5/5 24 4 4 4 4 4 4 16 20 | 2 2 | 2 | 2 | 2 | 2 |2|2|2|2 | 10 1571 1 15 30 उद्यापन- इस तप की पूर्णाहुति पर बृहत्स्नात्र से जिन पूजा, संघवात्सल्य एवं संघ पूजा करनी चाहिए। इस तप से मनुष्य उच्च गुणस्थान पर चढ़ता है। . . प्रचलित परम्परानुसार इस तप के आराधन काल में "गुणरत्न संवत्सर तपसे नम:' की 20 माला तथा साथिया आदि बारह-बारह करना चाहिए। साथिया खमासमण कायोत्सर्ग माला ___12 12 12 20 11. लघुसिंह निष्क्रीडित तप सिंहनिष्क्रीडित तप दो प्रकार का होता है। एक लघुसिंह निष्क्रीडित और दूसरा महासिंह निष्क्रीडित तप। लघुसिंह निष्क्रीडित तप का अर्थ है- जिस प्रकार
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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