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________________ 16...सज्जन तप प्रवेशिका दो, तीसरे नवक में तीन-तीन, चौथे नवक में चार-चार, पांचवें नवक में पाँचपाँच, छठे नवक में छह-छह, सातवें नवक में सात-सात, आठवें नवक में आठ-आठ और नौवें नवक में अन्न-जल की नौ-नौ दत्तियाँ ग्रहण की जाती हैं। इस प्रकार यह नव-नवमिका भिक्षु प्रतिमा इक्यासी (81) दिनों एवं 405 दत्तियों के द्वारा पूर्ण होती है। नवनवमिका भिक्षु प्रतिमा का यन्त्र यह है - । दत्ति संख्या कुल दिन 2 2 | 2 | 2 |2|2|2|2|2|18 | 3 | 3 | 3 | 3 |3 3 3 3 3 27 555555 5 5 5 45 77 171777 7 17 1763 | | 8 |8 | 8 |8|8| |8 | 8 | 72 | तप दिन 81 * दत्तियाँ 405 5. दशदशमिका भिक्षुप्रतिमा तप यह प्रतिमा पूर्ववत सप्तसप्तमिका भिक्षु-प्रतिमा की तरह वहन की जाती है। विशेष इतना है कि इस प्रतिमा की तपश्चर्या दश-दशकों में पूर्ण होती है। अन्तकृत्दशासूत्र (5वाँ अध्ययन) के अनुसार यह तप आर्या सुकृष्णा ने आराधित किया था। विधि- इस दशदशमिका नामक भिक्षु प्रतिमा की आराधना करते समय प्रथम दशक (दस दिनों) में प्रतिदिन एक दत्ति भोजन की और एक दत्ति पानी की ग्रहण करते हैं। फिर क्रमश: एक-एक दत्ति बढ़ाते हुए दूसरे दशक में दोदो, तीसरे दशक में तीन-तीन, चौथे दशक में चार-चार, पांचवें दशक में पाँच
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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