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जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप - विधियाँ... 5
संलेखना तप
तप 8. तीर्थङ्कर निर्वाण तप 9. ऊनोदरिका तप 10 11. सर्वसंख्या महावीर तप 12. कनकावली तप 13. मुक्तावली तप 14. रत्नावली तप 15. लघुसिंह निष्क्रीडित तप 16. बृहद्सिंह निष्क्रीडित तप 17. भद्रतप 18. महाभद्र तप 19. भद्रोत्तर तप 20 सर्वतोभद्र तप 21. गुणरत्नसंवत्सर तप 22. ग्यारह अंग तप 23. संवत्सर तप 24. नन्दीश्वर तप 25. पुण्डरीक तप 26. माणिक्य प्रस्तारिका तप 27 पद्मोत्तर तप 28. समवसरण तप 29. वीरगणधर तप 30. अशोकवृक्ष तप 31. एक- सौ-सत्तर जिन तप 32. नवकार तप 33. चौदहपूर्व तप 34. चतुर्दशी तप 35. एकावली तप 36. दशविध यतिधर्म तप 37. पंचपरमेष्ठी तप 38. लघुपंचमी तप 39. बृहत्पंचमी तप 40. चतुर्विधसंघ तप 41. धन तप 42. महाघन तप 43. वर्ग तप 44. श्रेणी तप 45. मेरू तप 46. बत्तीस कल्याणक तप 47. च्यवन तप 48. जन्म तप 49. लोकनालि तप 50. कल्याणकाष्टाह्निका तप 51. सूर्यायन तप 52 आचाम्लवर्धमान तप 53. महावीर तप 54 माघमाला तप 55. लक्षप्रतिपत तप ।
ये उपरोक्त तप गीतार्थों द्वारा आचरित कहे गये हैं तथा साधु-साध्वी, श्रावक-श्राविका रूप सभी साधकों के द्वारा आचरण करने योग्य हैं।
• 1. सर्वाङ्गसुन्दर-तप 2. निरुजशिखा - तप 3. सौभाग्यकल्पवृक्ष-तप 4. दमयन्ती-तप 5. आयतिजनक - तप 6. अक्षयनिधि-तप 7. मुकुटसप्तमी-तप 8. अम्बा-तप 9. श्रुतदेवी - तप 10. रोहिणी - तप 11. मातृ-तप 12. सर्वसुखसम्पत्ति-तप 13. अष्टापदपावड़ी - तपः 14. मोक्षदण्ड - तप 15. अदुःखदर्शी- तप 16. गौतमपडवा - तप 17. निर्वाण - तप 18 दीपक - तप 19. अमृताष्टमी- तप 20. अखण्डदशमी- तप 21. परत्रपाली - तप 22. सोपान - तप 23. कर्मचतुर्थ- तप 24. लघु नवकार-तप 25. अविधवादशमी - तप बृहत्नंद्यावर्त्त - तप 27. लघुनंद्यावर्त्त-तप।
26.
उपर्युक्त तप गृहस्थों के लिए सांसारिक फल आदि की अपेक्षा कहे गये हैं, जो किसी इच्छा की पूर्ति हेतु किये जाते हैं। (भा. 2. पृ. 336)
तुलना – यदि हम ऊपर वर्णित तप सूचियों का गहराई से अवलोकन करते हैं तो बोध होता है कि आगम- साहित्य में प्राय: बृहद् (कठिन) तपों का ही वर्णन है जिन्हें वर्तमान युग में क्रियान्वित कर पाना दुर्भर है। आचार्य जिनप्रभसूरि ने तो इस सम्बन्ध में स्पष्ट मन्तव्य दर्शाते एकावली, कनकावली, रत्नावली आदि तपों का
हुए लिखा है कि मेरे द्वारा
प - विवेचन नहीं किया
स्वरूप - 1