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________________ 280...सज्जन तप प्रवेशिका ___17 खमासमण-संयम पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा शुद्धात्मा गुण में रमे, तजि इन्द्रिय आशंस । थिर समाधि संतोषमां, जय जय संजम वंश ।। खमासमण के पद 1. सर्वत: प्राणातिपात विरताय संयमधराय नमः 2. सर्वत: मृषावाद विरताय संयमधराय नमः 3. सर्वत: अदत्तादान विरताय संयमधराय नमः 4. सर्वत: मैथुन विरताय संयमधराय नमः 5. सर्वतः परिग्रह विरताय संयमधराय नमः 6. सर्वतः रात्रि भोजन विरताय संयमधराय नमः 7. ईया समिति युक्ताय संयमधराय नमः 8. भाषा समिति युक्ताय संयमधराय नमः 9. एषणा समिति युक्ताय संयमधराय नमः 10. आदान भण्डमत्त निक्षेपणा समिति युक्ताय संयमधराय नमः 11. परिष्ठापनिका समिति युक्ताय संयमधराय नमः 12. मनो गुप्ति युक्ताय संयमधराय नमः 13. वचन गुप्ति युक्ताय संयमधराय नमः 14. काय गुप्ति युक्ताय संयमधराय नमः 15. मनो दण्ड रहिताय संयमधराय नमः 16. वचन दण्ड रहिताय संयमधराय नमः 17. काय दण्ड रहिताय संयमधराय नमः 52. खमासमण-आगम ज्ञान की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा ज्ञान वृक्ष सेवो भविक, चारित्र समकित मूल । अजर अमर पद लहो, जिनवर पदवी फूल ।। खमासमण के पद 1. श्री आचारांग सूत्राय नमः 2. श्री सूयगडांग सूत्राय नमः
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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