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________________ 11. श्री प्रभास स्वामी गणधराय नमः 12. चौबीस तीर्थंकरों के 1452 गणधरेभ्यो नमः परिशिष्ट - II ... 279 20 खमासमण - विहरमान तीर्थंकर की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा दोष अढारे क्षय थया, उपज्या गुण जस अंग । वैयावच्च करिये मुहु, नमो नमो जिन पद संग ।। खमासमण के पद 1. श्री सीमन्धर जिनेश्वराय नमः 2. श्री युगमन्धर जिनेश्वराय नमः 3. श्री बाहु जिनेश्वराय नमः 4. श्री सुबाहु जिनेश्वराय नमः 5. श्री सुजात जिनेश्वराय नमः 6. श्री स्वयंप्रभ जिनेश्वराय नमः 7. श्री ऋषभानन जिनेश्वराय नमः 8. श्री अनंतवीर्य जिनेश्वराय नमः 9. श्री सूरप्रभ जिनेश्वराय नमः 10. श्री विशाल जिनेश्वराय नमः 11. श्री वज्रंधर जिनेश्वराय नमः 12. श्री चन्द्रानन जिनेश्वराय नमः 13. श्री चन्द्रबाहु जिनेश्वराय नमः 14. श्री भुजंग स्वामी जिनेश्वराय नमः 15. श्री ईश्वर स्वामी जिनेश्वराय नमः 16. श्री नमिप्रभ जिनेश्वराय नमः 17. श्री वीरसेन प्रभ जिनेश्वराय नमः 18. श्री महासेन प्रभ जिनेश्वराय नमः 19. श्री देवसेन प्रभ जिनेश्वराय नमः 20. श्री अजितवीर्य जिनेश्वराय नमः
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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