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________________ परिशिष्ट-II...277 खमासमण के पद 1. कायिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 2. अधिकरणिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 3. पारितापनिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 4. प्राणातिपातिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 5. आरम्भिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 6. परिग्रह क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 7. माया प्रत्ययिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 8. मिथ्यादर्शन प्रत्ययिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 9. अपच्चक्खाणी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 10. दृष्टि क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 11. स्पर्शन क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 12. प्रातित्यकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 13. सामंतोपनिपातकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 14. नैशस्त्रकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 15. स्वहस्तिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 16. आणवणी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 17. विदारणिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 18. अनाभोग प्रत्ययिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 19. अनवकंख प्रत्ययिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 20. आज्ञापन प्रत्ययिकी क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 21. प्रयोग क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 22. समुदान क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 23. द्वेष क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 24. प्रेम क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः 25. इरियावहिया क्रिया प्रवर्तन रहिताय नमः ____12. खमासमण-तप पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा कर्म खपाने चीकणा, भाव मंगल तप जाण । पच्चास लब्धि ऊपजे, जय जय तप गुण खाण ।।
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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