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________________ 276...सज्जन तप प्रवेशिका 18 खमासमण-ब्रह्मचर्य पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा जिन प्रतिमा जिन मन्दिरा, कंचन ना करे जेह । ब्रह्मव्रत थी बहु फल कहे, नमो नमो शीयल सुदेह ।। खमासमण के पद 1. मनसा औदारिक विषय अकरण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 2. मनसा औदारिक विषय अकरावण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 3. मनसा औदारिक विषय अनुमोदना वर्जन रूप ब्रह्मचर्याय नमः 4. वचसा औदारिक विषय अकरण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 5. वचसा औदारिक विषय अकरावण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 6. वचसा औदारिक विषय अनुमोदन वर्जन रूप ब्रह्मचर्याय नमः 7. कायेन औदारिक विषय अकरण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 8. कायेन औदारिक विषय अकरावण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 9. कायेन औदारिक विषय अनुमोदन वर्जन रूप ब्रह्मचर्याय नमः 10. मनसा वैक्रिय विषय अकरण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 11. मनसा वैक्रिय विषय अकरावण रूप ब्रह्मचर्याय नमः 12. मनसा वैक्रिय विषय अनुमोदन वर्जन रूप ब्रह्मचर्याय नमः 13. वचसा वैक्रिय विषय अकरण ब्रह्मचर्याय नमः 14. वचसा वैक्रिय विषय अकरावण ब्रह्मचर्याय नमः 15. वचसा वैक्रिय विषय अनुमोदन वर्जन ब्रह्मचर्याय नमः 16. कायेन वैक्रिय विषय अकरण ब्रह्मचर्याय नमः 17. कायेन वैक्रिय विषय अकरावण ब्रह्मचर्याय नमः 18. कायेन वैक्रिय विषय अनुमोदन वर्जन ब्रह्मचर्याय नमः 25 खमासमण-क्रिया पद की आराधना हेतु प्रदक्षिणा का दोहा आत्मबोध विनुजे क्रिया, ते तो बालक चाल। तत्त्वारथ थी धारीये, नमो क्रिया सुविशाल ।।
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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