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________________ 146...सज्जन तप प्रवेशिका च्यवन तप दिन-24, पारणा-24, कुल दिन = 48 इसी भाँति जन्म तप के कुल दिन = 48 दोनों यन्त्रों की आकृति समान ही है। उ. | पा. उ. | पा. उ. | पा. उ. पा. उ. | पा.| उ. पा. ऋषभ. | पा. अजित. | पा. सम्भव. पा. अभिनन्दन. पा. सुमति. पा. | पद्मप्रभु पा. सुपार्श्व. पा. चन्द्रप्रभु. पा. सुविधि. पा. शीतल. पा. श्रेयांस. पा. वासुपूज्य, पा. | विमल. | पा. अनन्त. पा. धर्म. | पा. शान्ति. पा. कुंथु. | पा.| अर. पा. मल्लि. | पा.| मुनिसु. | पा.| नमि. | पा. नेमि. पा.| पार्श्व. | पा. | वर्धमान पा. | • प्रचलित विधि के अनुसार इस तप के दौरान क्रमश: चौबीस तीर्थङ्करों का जाप आदि करना चाहिए। च्यवन-तप में प्रत्येक तीर्थङ्कर के नाम के आगे ‘परमेष्ठिने नम:' यह पद जोड़ें तथा जन्म तप में 'अर्हते नमः' यह पद जोड़ें। साथिया खमा. कायो. माला ___12 12 12 20 36. सूर्यायण तप सूर्य की गति के अनुसार हानि और वृद्धि के क्रम से जो तप किया जाता है उसे सूर्यायण तप कहते हैं। यह तप चान्द्रायण तप की भाँति द्विविध रीतियों से किया जाता है। इस तप में भी यवमध्य और वज्रमध्य दो प्रकार होते हैं। यह तप करने से महाराज्यलक्ष्मी की प्राप्ति होती है। इस तप का सेवन करने वाला भौतिक एवं आध्यात्मिक उभय शक्तियों का सम्राट बन जाता है। आचारदिनकर में इसकी निम्न विधि दर्शायी है - एवं मासद्वयेन स्या, पूर्णच यववज्रकम् । चांद्रायणं यत्तेर्दत्तेः, संख्या पासस्य गेहिनाम् ।। आचारदिनकर, पृ. 363 इस तप को कृष्ण प्रतिपदा से शुरू करके अमावस्या तक पन्द्रह दिन करें,
SR No.006259
Book TitleSajjan Tap Praveshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages376
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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