________________
जैन धर्म की श्वेताम्बर परम्परा में प्रचलित तप-विधियाँ...49 इस प्रकार इस तप में 54 उपवास और 27 पारणे कुल 81 दिन में यह तप पूर्ण होता है।
इसका यन्त्र इस प्रकार है -
|
|-|
उपवास 54, पारणा 27 कुल दिन 81 प्रथम श्रेणी | 1 2
3 द्वितीय श्रेणी | 2 | 3 | 1 तृतीय श्रेणी | 3 | 1 | 2 चतुर्थ श्रेणी
| 2 | 3 | 1 पंचम श्रेणी । 3 | 1 | 2 षष्ठम श्रेणी सप्तम श्रेणी अष्टम श्रेणी | 3 | 1
2 नवम श्रेणी
|0|-|
N|-|
2
दूसरी रीति - जैन प्रबोध ग्रन्थानुसार इस तप को निर्धारित तप संख्या से 16 श्रेणियों में पूर्ण किया जाता है। जैसे पहली श्रेणी में एक उपवास कर पारणा करें, फिर दो उपवास कर पारणा करें, फिर तीन उपवास कर पारणा करें, फिर चार उपवास कर पारणा करें। इसी प्रकार क्रमश: 16 श्रेणियाँ करने से यह तप पूर्ण होता है। इसकी स्पष्ट जानकारी हेतु यन्त्र निम्न प्रकार है
उपवास 160, पारणा 64, कुल दिन 224 | श्रेणी | उ. | उ. उ. उ. | प्रथम श्रेणी | 1 | 2 3 4 | द्वितीय श्रेणी | 2 | 3 | 4 | 1 | | तृतीय श्रेणी । 3 4 | 1 | 2 | चतुर्थ श्रेणी | 4 | 1 | 2 | | पंचम श्रेणी | 2 | 3 4
षष्ठम श्रेणी | 3 | 4 | 1
00-00-|