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अध्याय-2
आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं
का प्रासंगिक विवेचन
मुद्रा विज्ञान प्राकृतिक नियमों पर आधारित शाश्वत सिद्धान्त है। प्रकृति, विज्ञान एवं अध्यात्म का अलौकिक समीकरण है। मुद्राएँ मानव शरीर रूपी महायन्त्र की नियन्त्रक तालिकाएँ अर्थात Switch board हैं। इन तालिकाओं के द्वारा मनुष्य के शरीर में महत्त्वपूर्ण तात्त्विक, मानसिक, बौद्धिक, आध्यात्मिक तथा शारीरिक परिवर्तन बिना किसी सहायता के सरलतापूर्वक लाए जा सकते हैं।
मुद्रा प्रयोग के लिए किसी उम्र, माहौल, शिक्षा या समय का बंधन नहीं है। Any time and Any where इनको धारण किया जा सकता है एवं इनसे लाभ होना सुनिश्चित है। इन्हीं सब सकारात्मक तथ्यों की वजह से आधुनिक चिकित्सा विशेषज्ञों ने मुद्राओं द्वारा रोग निदान को स्वीकार किया है। वर्तमान चिकित्सा पद्धति में प्रयुक्त कुछ विशेष मुद्राओं का वर्णन इस प्रकार है1. ज्ञान मुद्रा
ज्ञान- प्रत्येक चेतना का स्वाभाविक गुण है, निजी धर्म है, अचिन्त्य शक्ति रूप है किन्तु सांसारिक प्राणियों की यह शक्ति पूर्वबद्ध अशुभ कर्मों से आवृत्त है इसलिए उन्हें इस शक्ति गुण का अहसास नहीं होता, परिणामत: मिथ्या भ्रम में उलझता रहता है तथा अकारण कष्टों को आमन्त्रित करता रहता है। इस तरह की बाधाओं से पार होने का सशक्त उपाय है ज्ञान मुद्रा। सम्यक ज्ञान के द्वारा ही सजीव और निर्जीव का भेद स्पष्ट होता है। जिसमें ज्ञान है, समझ है वह सजीव कहलाता है। इसका प्रतिपक्षी पदार्थ निर्जीव कहलाता है।
यहाँ ज्ञान मुद्रा से तात्पर्य अन्तर्ज्ञान की अवस्था को उपलब्ध करना है। इस मुद्रा का अभ्यासी साधक आत्मज्ञान की अनुभूति करता हआ परम तत्त्व को प्राप्त कर लेता है। यह मुद्रा आत्मा के ज्ञान गुण की प्राप्ति के लिए की जाती है।