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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ...91
चक्र- स्वाधिष्ठान, अनाहत एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल, वायु एवं आकाश तत्त्व अन्थि- प्रजनन, थायमस एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य, आनंद एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, हृदय, फेफड़े, भुजाएँ, रक्त संचरण तंत्र, स्नायु तंत्र एवं निचला मस्तिष्क। 22. हार्ट मुद्रा __हार्ट का हिन्दी रूप हृदय है। यह मुद्रा हृदय की प्रतीक है। यह मुद्रा हृदय सम्बन्धी रोगों के निवारण एवं शुभ क्रियाओं में हृदय को जोड़े हुए रख सकें, इस उद्देश्य से की जाती है। हृदय शरीर का प्रमुख अंग है। यदि हृदय स्वस्थ है तो शरीर निरोग रहता है साथ ही मन भी संतुलित रहता है। हमारी चित्तवृत्तियों का सीधा असर हृदय पर पड़ता है। जैसे कि क्रोध के क्षणों में वह धड़कने
हार्ट मुद्रा लगता है, भय की स्थिति में काँपने लगता है, खुशियों के पलों में फूलता है, ध्यान की दशा में शान्त रहता है इस तरह हमारी समस्त प्रवृत्तियों का उस पर प्रभाव पड़ता है अतः हमें इस तत्त्व के प्रति जागरूक रहना चाहिए। इस मुद्रा का