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72... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? सम्बन्धी परेशानियों को दूर करता है। इसी के साथ मल-मूत्रगत अंगों में लकवा आदि रोगों से राहत मिलती है। 13. जलोदरनाशक मुद्रा
यह मुद्रा विशेष रूप से जलोदर नामक रोग का निदान करती है। इसलिए इसका नाम जलोदरनाशक मुद्रा है। प्रयोजन की दृष्टि से यह मुद्रा शरीर को आरोग्यता एवं स्वस्थता प्रदान कर चित्त दशा को अनावश्यक हलचलों से विमुक्त रखती है।
जलोदरनाशक मुद्रा विधि
इस मुद्रा का प्रयोग करने के लिए पद्मासन या सुखासन में बैठे। फिर कनिष्ठिका अंगुली के अग्रभाग को अंगूठे के मूल भाग पर रखकर, अंगूठे से उस अंगुली पर हल्का सा दबाव दें तथा शेष अंगुलियों को एक-दूसरे से स्पर्शित करते हुए सीधी रखना जलोदरनाशक मुद्रा है।