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54... आधुनिक चिकित्सा में मुद्रा प्रयोग क्यों, कब और कैसे? केन्द्र- विशुद्धि, दर्शन एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- नाक, कान, गला, मुख, स्वरयंत्र, निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, यकृत, तिल्ली आँतें आदि।
• एक्युप्रेशर के अनुसार अंगूठे के मूल में थायरॉइड के सांकेतिक बिन्दु हैं। थायरॉइड के बिन्दुओं पर दबाव पड़ने से उसके स्रावों का संतुलन होता है जिससे शरीर के आकार एवं प्रकार भी संतुलित बनते हैं।
इस प्रकार सूर्य मुद्रा मानसिक विक्षोभों को दूर करने एवं वजन घटाने के सन्दर्भ में महत्त्वपूर्ण सिद्ध होती है। 6. वरुण मुद्रा
वरुण शब्द जल का पर्यायवाची है इसलिए वरुण मुद्रा जल तत्त्व से सम्बन्ध रखती है। जिस कनिष्ठिका अंगुली के माध्यम से वरुण मुद्रा बनायी जाती है वह अंगुली भी जल तत्त्व का ही प्रतिनिधित्व करती है। जल जैविक शक्ति का प्रमुख अंग है, जल ही जीवन है, जल ही प्राण है। जैसे व्यक्ति भोजन के बिना कुछ महीने जीवित रह सकता है किन्तु जल के अभाव में अधिक दिन जीवित रहना कठिन है।
वरुण मुद्रा