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आधुनिक चिकित्सा पद्धति में प्रचलित मुद्राओं का प्रासंगिक विवेचन ... 49 4. पृथ्वी मुद्रा
प्रत्येक आत्माओं के शरीर निर्माण में एक हिस्सा पृथ्वी तत्त्व का होता है। व्यावहारिक तौर पर पृथ्वी आधारभूत तत्त्व है। पृथ्वी से जीवन का विकास होता है। पृथ्वी को माता की उपमा दी गई है जैसे माता सहनशील होती है वैसे पृथ्वी में भी सहने की क्षमता है। जैनागमों में मुनि को पृथ्वी के समान सहिष्णु बनने की प्रेरणा दी गई है - 'पुढवी समे मुणी हवेज्ज।' अर्थात मुनि पृथ्वी के समान बने। पृथ्वी हर परिस्थिति में तटस्थ, हर व्यक्ति के लिए साम्य भाव रखती है।
पृथ्वी मुद्रा
पृथ्वी शक्तिशाली एवं धृतिसम्पन्न भी मानी गई है। हमारा जीवन भी इन सद्गुणों से समन्वित हो सकता है बशर्ते पृथ्वी तत्त्व असंतुलित न हो । पृथ्वी मुद्रा का अभ्यास सहनशीलता, धैर्यता, शक्ति संचय, समन्वय दृष्टि जैसे गुणों को आत्मसात करने के उद्देश्य से किया जाता है।