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चिकित्सा उपयोगी मुद्राओं का चार्ट ...143 • वाणी पर अनियंत्रण, असंवेदनशीलता, करुणाहीन, हिंसक भावना- भूचरी मुद्रा, नासिकाग्र मुद्रा, वज्रोली मुद्रा, शाम्भवी मुद्रा-1, भुजंगिनी मुद्रा।
• अध्यात्म अरुचि, आत्मानुशासन की कमी, मान कषाय- चिन् मुद्रा, भूचरी मुद्रा, ब्रह्मा मुद्रा, आकाशी मुद्रा, नभो मुद्रा, जालंधरबंध मुद्रा, महाबंध मुद्रा, महावेध मुद्रा, खेचरी मुद्रा, विपरितकरणी मुद्रा, पाशिनी मुद्रा।
• ज्ञान का अभिमान, मायाचारी, निरर्थक चिन्ता- चिन्मय मुद्रा, नासिकाग्र मुद्रा, भैरव मुद्रा, नौमुखी मुद्रा, अगोचरी मुद्रा, योग मुद्रा, आकाशी मुद्रा, नभो मुद्रा, उड्डीयानबंध मुद्रा, मांडुकी मुद्रा, शाम्भवी मुद्रा-1, शाम्भवी मुद्रा-2, पाशिनी मुद्रा।
. आधुनिक विज्ञान प्रगति के मार्ग पर बहत आगे बढ़ चुका है। भौतिक उपलब्धियों की धुन में वह अपनी आध्यात्मिक मूल धरोहर को विस्मृत करता जा रहा है। देश कालगत परिस्थितियों के कारण प्राच्य विद्याओं का निरंतर हास हो रहा है। इसी के साथ वर्तमान में घटता शारीरिक बल एवं मानसिक दृढ़ता भी आध्यात्मिक एवं सांस्कृतिक वतन में हेतुभूत बन रही है। इस स्थिति में मुद्रा योग अनेक यौगिक सिद्धियों को उपलब्ध करवाने के साथ विकार रहित एवं रोग मुक्त होने का भी सुसिद्ध उपाय है। उपरोक्त सूची से यह प्रमाणित हो जाता है कि मुद्रा विज्ञान के द्वारा किसी भी प्रकार के रोग का निदान किया जा सकता है तथा जीवनगत समस्याओं का निराकरण एवं स्वस्थ जीवन की प्राप्ति भी हो सकती है।