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134... यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
82. घेरण्डसंहिता, 3/87
83. कण्ठमग्नेजले स्थित्वा, नासाभ्यां जलमाहरेत् । मुखान्निर्गमयेत् पश्चात्, पुनर्वक्त्रेण चाहरेत् ॥
नासाभ्यां रेचयेत् पश्चात् कुर्यादेवं पुनः पुनः । मातंगिनी परामुद्रा, जरामृत्यु विनाशिनी ॥ घेरण्डसंहिता, 3/88-89
84. घेरण्डसंहिता, 3 / 90
85. घेरण्डसंहिता, 3 / 90-91
86. वक्त्रकिंचित् सुप्रसायं, चानिलं गलयारिवेत् । साभवेद् भुजंगी मुद्रा, जरा मृत्यु दिविशेषतः ॥
87. घेरण्डसंहिता, 3 / 92-93
घेरण्डसंहिता, 3 / 92