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________________ 130... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग 42. तंत्र, क्रिया और योगविद्या, पृ. 489-490 43. हठयोग प्रदीपिका, 4/84 44. हठयोग प्रदीपिका, 4/90 45. हठयोग प्रदीपिका, 4/92-93 46. घेरण्ड संहिता, 3/42-44 47. धरामवष्टभ्य करयोस्तलाभ्याम् ऊर्ध्व क्षितेत्पादयुगं शिखे । शकित प्रबोधाय चिरंजीवनाय, वज्रोलीमुद्रां कवयोवदन्ति । (क) घेरण्डसंहिता, 3/45 (ख) हठयोग प्रदीपिका, 4/85-91 (ग) शिवसंहिता, 4/81-84 48. तंत्र, क्रिया और योगविद्या, पृ. 790 49. आसन, प्राणायाम मुद्रा बंध, सत्यानन्द सरस्वती, पृ. 320 50. घेरण्डसंहिता, 3/46-47 51. घेरण्डसंहिता, 3/48 52. नाभिं सम्वेष्टय वस्त्रेण, न च नग्नो बहिः स्थितः। गोपनीयगृहे स्थित्वा, शक्तिचालनमभ्यसेत्॥ वितस्तिमितं दीर्घ, विस्तारे चतुरंगुलम्। मृदुल धवलं सूक्ष्म, वेष्टनाम्बर लक्षणम्॥ एवमम्बरयुक्तं च, कटिसूत्रेण योजयेत्। भस्मनागात्र संलिप्तं, सिद्धासनं समाचरेत्। नासाभ्यां प्राणमाकृष्य, अपानेयोजयेबलात्। तावदाकुंचयेद् गुह्य, शनैरश्विनिमुद्रया।। यावद्गच्छेतसुषुम्नायां, वायुः प्रकाशयेत् हठात्। तदावायुप्रबन्धेन, कुम्भिका च भुजङ्गिनी।। बद्धश्वासस्ततोभूत्वा, ऊर्ध्वमार्ग प्रपद्यते। शक्तीविनाचालनेन, योनिमुद्रा न सिद्धयति।। (क) घेरण्डसंहिता, 3/53-57 (ख) शिवसंहिता, 4/105 53. तंत्र, क्रिया और योगविद्या, पृ. 793-794
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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