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________________ . यौगिक मुद्राएँ: मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग 120... न्यून करता है। बवासीर एवं मधुमेह जैसी बीमारी का उपचार करता है । मेरुदण्ड के अंदर तथा बाहर के स्नायुओं को स्वस्थ रखता है इसके फलस्वरूप शरीर के सभी अंगों की क्षमता बढ़ती है। इससे चुल्लिका (थाइरॉइड) और उप चुल्लिका (पैरा थाइरॉइड) ग्रंथियाँ यथोचित रूप से कार्यशील होती हैं। इस मुद्राभ्यास के द्वारा यकृत, प्लीहा, गुर्दा, क्लोमग्रंथि एवं एड्रिनल ग्रंथि को पुनर्जीवित किया जा सकता है जिससे पीठ दर्द, गर्दन दर्द, सिर दर्द को दूर करने में भी मदद मिलती है। • इन शारीरिक लाभों के अतिरिक्त एकाग्रता पूर्वक अभ्यास करने से प्रत्याहार की स्थिति प्राप्त होती है जो ध्यान की तैयारी का पूर्वाभास है । अनुभवी सन्त साधकों के अनुसार यह मुद्रा ऐसे शक्ति केन्द्रों पर दबाव डालती है जिनके सक्रिय होने से उपर्युक्त सर्व प्रकार के परिणाम हासिल होते हैं। उन चक्र आदि के नाम इस प्रकार हैं · चक्र - मणिपुर, विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- अग्नि, वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज, थायरॉइड, पेराथाइरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- तैजस, विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन संस्थान, नाड़ी तंत्र, स्नायु तंत्र, स्वर तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, कान, नाक, गला, मुँह, निचला मस्तिष्क | 19. काकी मुद्रा काकी शब्द का अर्थ कौआ होता है । इस अभ्यास में श्वास लेते समय मुँह की रचना कौवे की चोंच के समान बनाई जाती है इसलिए इसे काकी मुद्रा के नाम से संबोधित किया गया है। यह मुद्रा मनोदैहिक रोगों की उपशान्ति एवं दीर्घ आयु की प्राप्ति के प्रयोजन से की जाती है। विधि • किसी भी आरामदायक आसन में बैठ जायें। . फिर दोनों हाथों को गोद में अथवा घुटनों पर रखें। • फिर होठों को कौए की चोंच के समान करके मुँह से धीरे-धीरे गहरी श्वास भीतर की ओर खींचें। उसके पश्चात दोनों होठों को बन्द कर दें। • फिर दोनों नासारन्ध्रों द्वारा श्वास को बाहर छोड़ना काकी मुद्रा है 180
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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