SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 116
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अध्याय-3 विशिष्ट अभ्यास साध्य यौगिक मुद्राओं की रहस्यपूर्ण विधियाँ योग साधना में मुद्रा विज्ञान का सर्वाधिक महत्त्व है। यह एक शीघ्र प्रभावी प्रक्रिया है। यद्यपि मुद्राओं को सहज एवं सुग़म माना गया है किन्तु कुछ मुद्राएँ ऐसी भी होती है जिन्हें साधने के लिए विशेष प्रयास एवं अभ्यास की आवश्यकता होती है। यह मुद्राएँ कठिनतापूर्वक सिद्ध होती है परन्तु एक बार सिद्ध होने के बाद इनकी साधना अनेक दिव्य शक्तियों को जागृत करने में सहायक बनती है। ___ मुद्राओं का निरन्तर अभ्यास समाज में सात्त्विक परिवर्तन ला सकता है। लोगों की भावना को बदल सकता है। विचार एवं कर्म को नई दिशा प्रदान कर सकता है। मानव विकास एवं संरक्षण के लिए मुद्रा प्रयोग एक अचुक प्रयास है। अत: यहाँ पर विशिष्ट अभ्यास साध्य मुद्राओं का स्वरूप स्पष्ट किया जा रहा है। 1. महा मुद्रा संस्कृत शब्दकोश में 'महा' का अर्थ है सबसे बड़ा और महान। मुद्रा का अर्थ है मानसिक (सूक्ष्म) वृत्ति। वस्तुत: महामुद्रा वह प्रयोग है जिसके द्वारा मानवीय चेतना उच्चतम स्तर पर गमन कर सकती है। नि:सन्देह यह चैतसिक एवं भावनात्मक स्तर पर की जाने वाली विशिष्ट मुद्रा है। इस मुद्रा के वैशिष्ट्य को हर युग में स्वीकारा जाता रहा है किन्तु प्राचीन काल में इसे जनसाधारण को प्रकट रूप से कभी नहीं सिखलाते थे। यह विद्या गुरु-शिष्य परंपरा में प्रचलित थी। आधुनिक युग में समय और आवश्यकता को देखते हुए इसे प्रचारित किया जा रहा है ताकि साधारण जन समुदाय की संकुचित एवं स्वार्थमूलक भावनाएँ नि:स्वार्थता एवं संवेदनशीलता की पराकाष्ठा पर पहुँचें।
SR No.006257
Book TitleYogik Mudrae Mansik Shanti Ka Safal Prayog
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages232
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy