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42... यौगिक मुद्राएँ : मानसिक शान्ति का एक सफल प्रयोग
6. भैरव मुद्रा
हिन्दु परम्परा में शिव के अनेक रूप माने गये हैं, उनमें से एक रूप है भैरव। इसे भयानक और दुर्जेय कहते हैं। इस संदर्भ में शिव की पत्नी को भैरवी (शक्ति) कहा गया है।
इस संसार में एक निश्चित संप्रदाय है, जो शिव और शक्ति के इस रूप की आराधना करते हैं। उन अनुयायियों को भैरवी नाम से संबोधित करते हैं। ऐतिहासिक वृत्तों के अनुसार भैरव तंत्र नाम का एक विराट् तंत्र शास्त्र है।
जैन परम्परा में शिव और शक्ति की भिन्न-भिन्न कल्पना नहीं की गई है वहाँ शिव-शक्ति में एक्य माना है। शिव अर्थात परमात्मा अनन्त ज्ञान-अनन्त दर्शन-अनन्त चारित्र और अनन्त वीर्य रूप शक्ति से सम्पन्न ही होता है। जो स्वशक्ति से पूर्णत: युक्त हो वही परमात्मा के संबोधन का अधिकारी होता है। परमात्मा (शिव) के संदर्भ में पत्नी आदि गृहस्थ सम्बन्धों की कल्पना कैसे की जा सकती है? यद्यपि संप्रदाय विशेष की अपनी मान्यता उनके अनुयायियों के लिए श्रद्धा एवं विश्वास का प्रतीक होती है अत: आचरणीय है।
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भैरव मुद्रा