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बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
सुपरिणाम
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- जल एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, निचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र।
86. सकु - इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा देवी-देवताओं को अपनी पवित्र सीमा में धारण करने की सूचक है। यह मुद्रा दिखाकर अथवा इस मुद्रा के द्वारा देवी-देवताओं को निर्धारित सीमा में रहने का निर्देश दिया जाता है। शेष वर्णन पूर्ववत । विधि
दोनों हथेलियों को समीप कर अंगूठा, मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका अंगुलियों को हथेली के भीतरी तरफ अन्तर्ग्रथित करें तथा तर्जनी के अग्रभागों को संयुक्त करने पर 'सकु - इन्' मुद्रा रचती है। 102
सकु-हन् मुद्रा