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गर्भधातु - वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ
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सुपरिणाम
चक्र - मूलाधार एवं मणिपुर चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थ केन्द्र - शक्ति एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मेरूदण्ड, गुर्दे, पैर, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली एवं आँतें।
85. सै-जै-इन् मुद्रा
धार्मिक क्रियाओं के अवसर पर यह मुद्रा गुनाहों के विनाश की सूचक है । शेष वर्णन पूर्ववत ।
विधि
युगल हथेलियों को संयोजित कर मध्यभाग में रखें, अंगूठे Cross करते हुए रहें, तर्जनी, मध्यमा और अनामिका बाहर की तरफ इस तरह अन्तर्ग्रथित होकर रहें कि उनके अग्रभाग अंगुलियों के अंतिम जोड़ को स्पर्श कर सकें तथा कनिष्ठिका को सीधा कर उनके अग्रभागों को आपस में मिलाने पर 'सै- जै-इन् ' बनती है। 101
मुद्रा
से-जै-इन् मुद्रा