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370... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन अष्टम विधि
इस आठवें प्रकार में अनामिका के प्रथम एवं द्वितीय पोर पृष्ठ भाग से स्पर्श करते हुए एवं ऊपर उठे हुए रहते हैं। शेष विधि षष्ठम प्रकार के समान जाननी चाहिए। 62
जी-इन् मुद्रा - 8
सुपरिणाम
• अग्नि एवं वायु तत्त्व के संयोग एवं संतुलन से वायु सम्बन्धी विकार - वायुशूल, एसिडिटी, सन्धिवात, जोड़ों का दर्द आदि समाप्त होते हैं। • मणिपुर एवं विशुद्धि चक्र को जागृत कर यह मुद्रा मधुमेह, कब्ज, अपच, गैस, पाचन विकृति, उग्रता, कषाय आदि का निवारण करती है। थायरॉइड पेराथायरॉइड, एड्रिनल एवं पेन्क्रियाज के स्राव का नियमन कर सुकतान (Rickets), हिचकी, दाँतों की तकलीफ, स्नायुओं की मोच, सिरदर्द, उल्टी, एसिडिटी, शराब की लत आदि को नियंत्रित करती है।