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338... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन स्थित सभी अवयवों के कार्यों का नियमन करती है। इससे शारीरिक, बौद्धिक एवं मानसिक शक्ति का विकास एवं संतुलन बना रहता है।
• पिच्युटरी एवं कामग्रंथियों को प्रभावित कर यह मुद्रा साधक को प्रसिद्ध लेखक, कवि, वैज्ञानिक, तत्त्वज्ञानी और मानव जाति का प्रेमी बनाती है तथा स्त्री सम्बन्धी एवं यौन सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करती है। 33. धूप मुद्रा
धूप मुद्रा के दो प्रकार हैं, उनमें निम्न प्रकार जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित है तथा उसका प्रयोग गर्भधातु मण्डल एवं अन्य धार्मिक क्रियाओं के दरम्यान किया जाता है। उसकी विधि यह हैविधि
दोनों हथेलियों को बाहर की ओर अभिमुख करें, अंगूठों को ऊपर की तरफ फैलायें तथा अंगुलियों की बाह्य किनारियों को प्रतिपक्ष से स्पर्श करते हुए रखने पर धूप मुद्रा बनती है।33
धूप मुद्रा