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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...339 सुपरिणाम
• इस मुद्रा का प्रयोग पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व को संतुलित करता है। यह शरीर को बलशाली एवं हृदय को शक्तिशाली बनाते हुए अस्थि, मज्जा आदि से सम्बन्धित रोगों का उपशमन करती है।
• मूलाधार एवं सहस्रार चक्र को प्रभावित करते हुए यौन हार्मोन उत्पन्न करती है, कामेच्छाओं पर नियंत्रण रखती है तथा काया को निरोगी एवं चित्त को स्थिर बनाती है।
• एक्युप्रेशर चिकित्सकों के अनुसार यह मुद्रा अनेक दिव्य गुणों को प्रकट कर आन्तरिक ज्ञान की स्फुरणा करती है तथा वंध्यत्व, प्रजनन, मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याओं का समाधान करती है। 34. फु-कौ-इन् मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा से संबंधित है। इसे श्रद्धालु वर्ग गर्भधातु मण्डल पूजा के प्रसंग पर धारण करते हैं। यह मुद्रा दोनों हाथों से की जाती है तथा नाम के अनुरूप यह शाश्वत प्रकाश की सूचक है।
फु-की-इन् मुद्रा