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गर्भधातु-वज्रधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियाँ ...337 32. धृतराष्ट्र मुद्रा
यह तान्त्रिक मुद्रा जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित एवं श्रद्धालुओं द्वारा आचरित विशिष्ट मुद्रा है। यह मुद्रा गर्भधातु मण्डल एवं धार्मिक गतिविधियों के समय अपनायी जाती है। यह संयुक्त मुद्रा कौरवों के पिता धृतराष्ट्र से संबंधित है। इसमें दोनों हाथों में समान मुद्रा होती है।
धृतराष्ट्र मुद्रा विधि
हथेलियों को स्वयं के अभिमुख कर मध्यमा, अनामिका और कनिष्ठिका को हथेली के भीतर मोड़ें, अंगूठों को मध्यमा से स्पर्शित करें, तर्जनी को भूमि से समानान्तर आगे की ओर फैलायें। तत्पश्चात दोनों हाथों को Cross करते हुए दायें हाथ के पिछले हिस्से को बायीं हथेली के गद्दी वाले भाग पर रखें। तब धृतराष्ट्र मुद्रा बनती है।32 सुपरिणाम
• यह मुद्रा जल एवं आकाश तत्त्व का संतुलन करते हुए शरीरस्थ विजातीय द्रव्यों का निष्कासन करती है। शरीर को तंदुरूस्त एवं मजबूत बनाती है तथा थायरॉइड, पैराथायरॉइड, टॉन्सिल, लार रस आदि पर नियंत्रण रखती है।
• आज्ञा एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत कर यह मुद्रा पेट के पर्दे के नीचे