________________
326... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
•
एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार यह मुद्रा कामेच्छा नियंत्रण, निर्णयात्मक एवं नेतृत्व गुण का विकास करती है तथा पोटेशियम, सोडियम और जल के प्रमाण को संतुलित करती है ।
23. चौ- कोंगो-रेंजे-इन् मुद्रा
यह मुद्रा भी पूर्ववत गर्भधातु मण्डल आदि धर्म क्रियाओं के दरम्यान धारण की जाती है। यह संयुक्त मुद्रा दोनों हाथों में समान होती है। इसकी विधि यह हैविधि
कनिष्ठिका अंगुलियों और अंगूठों को हथेली के भीतर मोड़ते हुए परस्पर में अग्रभागों से स्पर्श करवायें और शेष तीन अंगुलियों को ऊपर की ओर सीधी रखें। तत्पश्चात बायीं हथेली को अधोमुख और दायीं हथेली को ऊर्ध्वमुख करें तथा बायें हाथ की अंगुलियाँ दायें हाथ की अंगुलियों पर 90° कोण की दूरी पर रहें तब चौ-कोंगो-रेंजे-इन् मुद्रा कहलाती है। 23
ची- कोंगी-रेंजे-इन् मुद्रा
सुपरिणाम
साथ तादात्म्य का
• इस मुद्रा से आकाश तत्त्व प्रभावित होकर हृदय अनुभव होता है तथा स्वयं में लीन होने से अध्यात्म एवं ध्यान में प्रगति होती है। • सहस्रार एवं आज्ञा चक्र को जागृत कर यह शारीरिक, मानसिक एवं