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________________ गर्भधातु-वनधातु मण्डल सम्बन्धी मुद्राओं की विधियों ...327 बुद्धि के विकास में सहयोगी बनती है तथा सम्यक ज्ञान को उपलब्ध करवाती है। • पिच्युटरी एवं पिनियल ग्रंथियों के स्राव को नियंत्रित कर यह मुद्रा स्मरण शक्ति का विकास करती है। 24. चौ-नेन्-जु-इन् मुद्रा उपलब्ध वर्णन के अनुसार यह मुद्रा प्रार्थनाएँ, पाठ स्मरण, मन्त्र जाप एवं सम्यक ध्यान से सम्बन्धित है। अत: कहा गया है कि यह मुद्रा सच्चे ध्यान की सूचक है। इसका प्रयोग गर्भधातु मण्डल, वज्रधातु मण्डल आदि धार्मिक विधानों के प्रसंग पर किया जाता है। विधि __ इसमें अंगूठे झुके हुए एवं अनामिका के अग्रभाग को स्पर्श करते हुए, तर्जनी सीधी तथा मध्यमा और कनिष्ठिका अपने प्रतिपक्ष के अग्रभाग को स्पर्श करते हुए रहते हैं इस तरह चौ-नेन्-जु-इन् मुद्रा की रचना होती है। ची-नेन्-जु-हन् मुद्रा सुपरिणाम • अग्नि एवं वायु तत्त्व को प्रभावित कर यह मुद्रा कुपित वायु, गठिया, साइटिका, वायुशूल, लकवा, घुटने-जोड़ों के सन्धिवात आदि रोगों का निवारण
SR No.006256
Book TitleBauddh Parampara Me Prachalit Mudraoka Rahasyatmak parishilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages540
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size30 MB
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