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310... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
बकु - जी- इन् मुद्रा
समाधि की प्राप्ति करवाती है।
एक्युप्रेशर स्पेशलिस्ट के अनुसार यह मुद्रा कामेच्छा पर नियंत्रण, निर्णयात्मक शक्ति एवं नेतृत्व गुण का विकास करती है। यह स्वप्नदोष, हस्तदोष, शारीरिक गर्मी आदि का भी शमन करती है ।
10. बाण मुद्रा
एक लम्बा और नुकिला अस्त्र जो धनुष पर चढ़ाकर चलाया जाता है वह बाण कहलाता है। यह मुद्रा बाण के प्रतीक रूप में वज्रधातु मण्डल के समक्ष धारण की जाती है। इस मुद्रा का सर्वाधिक प्रयोग जापानी बौद्ध परम्परा में देखा जाता है। यह मुद्रा युगल हाथों से निम्न प्रकार की जाती है -
विधि
दोनों हाथों को एक-दूसरे के समीप कर तर्जनी और अनामिका को हथेली के पृष्ठ भाग की ओर अन्तर्ग्रथित करें, मध्यमा को अन्दर तरफ मोड़ते हुए हथेली से स्पर्श करवायें तथा दोनों मध्यमाओं के मध्य भाग का पोर स्पर्श करता हुआ रहे तथा अंगूठे और कनिष्ठिका के अग्रभाग भी एक-दूसरे से जुड़े हुए रहने पर बाण मुद्रा बनती है। 10
इस मुद्रा में हथेलियों को कमर के पीछे बार-बार घुमाया जाता है।