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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप...253 सुपरिणाम
• आकाश तत्त्व को संतुलित करते हुए यह मुद्रा शरीर से विजातीय विष तत्त्वों का निकास करती है। यह थायरॉइड, पेराथायरॉइड, लाररस, टान्सिल आदि का भी नियंत्रण करती है। • सहस्रार एवं आज्ञा चक्र को जागृत करते हुए संशय-विपर्यय से रहित निर्विकल्प अवस्था को प्राप्त करवाती है तथा सम्यक ज्ञान को उत्पन्न कर बुद्धि को एकाग्र एवं कुशाग्र बनाती है। • एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार यह मुद्रा मनोबल, निर्णायक शक्ति, स्मरणशक्ति, देखने-सुनने की शक्ति का विकास करती है। 62. सेमुइ-इन् मुद्रा
भारत में इसे अभय मुद्रा और अभयवरद मुद्रा कहते हैं। यह अभय को वरदान रूप में प्राप्त करने की सूचक मुद्रा है। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
दायी हथेली को अभय मुद्रा के समान छाती के स्तर पर रखें तथा बायीं हथेली को ऊर्ध्वाभिमुख रूप से कमर के स्तर पर या गोद में धारण करने पर 'सेमुइ-इन्' मुद्रा बनती है।
सेमुइ-इन् मुद्रा