________________
252... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन सुपरिणाम
• जल, वायु एवं आकाश तत्त्व में संतुलन स्थापित करते हुए यह मुद्रा स्वभाव को शांत हृदय को शक्तिशाली एवं वैभाविक स्थिति का शमन करती है। • स्वाधिष्ठान, आज्ञा एवं विशुद्धि चक्र को जागृत करते हुए यह मुद्रा वायु, आकाश, फेफड़ें एवं हृदय का नियमन करती है। शरीर के तापमान का नियंत्रण, शक्ति उत्पादन तथा नाभि चक्र को यथास्थान स्थित करती है। • स्वास्थ्य, विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र को प्रभावित करते हुए क्रोधादि कषायों एवं वासनाओं पर नियंत्रण करती है। जीवन को विधेयात्मक एवं आनंदमय बनाती है। 61. सेगन्-सेमुइ-इन् मुद्रा ___ यह मुद्रा 'सेगन् इन्' मुद्रा और 'सेमुइ इन्' मुद्रा का प्रचलित रूप है। इस संयुक्त मुद्रा को खड़े-खड़े छाती के स्तर पर धारण करते हैं। शेष वर्णन पूर्ववत। विधि
दायी हथेली को बाहर की तरफ अभिमुख करें। बायीं हथेली को भी बाहर की तरफ करके अंगलियों और अंगूठों को नीचे की ओर फैलायें, तब सेगन्सेमुइ-इन् मुद्रा बनती है।
सेगन्-सेमुइ-इन् मुद्रा