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जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक स्वरूप ...217
गे-बकु-केन-हन् मुद्रा-2
• शक्ति एवं स्वास्थ्य केन्द्र को जागृत कर गोनाड्स के स्राव को संतुलित करते हुए काम ऊर्जा के साथ स्वास्थ्य पर नियंत्रण करती है। इसी के साथ यह मुद्रा मन और भावनाओं पर नियंत्रण पाने की कला सिखाती है। तृतीय विधि
यह मुद्रा भगवान बुद्ध के ज्ञान को एकत्रित करने की सूचक है। इस मुद्रा में अंगुलियों को अन्तर्ग्रथित कर अंगूठों को अंगुलियों के भीतर रखते हैं।38 शेष वर्णन पूर्ववत। सुपरिणाम
• यह मुद्रा धारण करने से वायु तत्त्व संतुलित होता है। छाती, फेफड़ें, हृदय और थायमस ग्रंथि का कार्य सम्यक बनता है। प्राण वायु स्थिर एवं