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218... बौद्ध परम्परा में प्रचलित मुद्राओं का रहस्यात्मक परिशीलन
गे- बकु-केन-इन् मुद्रा - 3
विधेयात्मक ऊर्जा का ऊर्ध्वकरण होता है। • यह मुद्रा अनाहत एवं विशुद्धि चक्र को जाग्रत करती है। इससे आन्तरिक शक्तियों का जागरण होता है तथा अनेक कलाओं का भी विकास होता है। हृदय में आनंद भाव की उत्पत्ति, कंठ मधुर एवं सुरीला तथा चित्त शान्त एवं काया निरोगी बनती है। • एक्युप्रेशर विशेषज्ञों के अनुसार इस मुद्रा के प्रयोग से बालकों के चिड़चिड़ापन, जिद्दीपन आदि का निवारण होता है।
35. गौ- बकु - इन् मुद्रा
जापानी बौद्ध परम्परा में प्रचलित एवं धार्मिक क्रियाओं के समय अवधारित यह मुद्रा युगल हाथों से की जाती है। इसकी विधि निम्न है - विधि
हथेलियों को मध्यभाग में रखें, अंगूठे ऊपर उठे हुए एवं आपस में मिले हुए हों, तर्जनी अलग-अलग रूप से ऊर्ध्व प्रसरित, मध्यमा ऊपर से