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316... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
मासिक धर्म सम्बन्धी समस्याएँ (मासिक अनियमितता, अधिक मासिक स्राव आदि)- दंड मुद्रा, विस्मय मुद्रा, अर्धचन्द्र मुद्रा।
माइग्रेन (आधाशीशी)- आवाहन मुद्रा, चतुरहस्त मुद्रा, धेनु मुद्रा, तत्त्व मुद्रा, विस्मय वितर्क मुद्रा, सकलीकृति मुद्रा। ___ मूत्राशय सम्बन्धी समस्याएँ (मूत्र त्याग में अवरोध, मूत्र मार्ग में संक्रमण (Infection), मूत्राशय में पथरी या गांठ, मूत्राशय का बाहर लटकना (Urinary Bladder Prolapse)- दंड मुद्रा, धेन मुद्रा, षण्मुख मुद्रा, मयूर मुद्रा, त्रिपिटक मुद्रा-1, कूर्म मुद्रा।।
यकृत (Liver) की अस्वस्थता, यकृत में संक्रमण (Hepatitis), यकृत का बढ़ना (Hepatomegaly), यकृत में सूजन, यकृत में पित्त, उल्टी, मिचली, यकृत में गाँठ आदि- चन्द्रकला मुद्रा, हरिणमुद्रा, अंचित मुद्रा, आवाहन मुद्रा, चन्द्रकला मुद्रा, चतुर मुद्रा।
रक्त विकार (रक्त कैन्सर, रक्त में आवश्यक तत्त्वों की कमी आदि)गदा मुद्रा, चतुरहस्त मुद्रा, विस्मय मुद्रा-1, चक्र मुद्रा। लकवा- दंड मुद्रा, वन्दना मुद्रा, चतुर्मुख मुद्रा, अर्धचन्द्र मुद्रा। वायु विकार- हरिण मुद्रा, चिन् मुद्रा, अर्चित मुद्रा, मुकुल मुद्रा। वजन बढ़ना- अर्चित मुद्रा, चतुर मुद्रा-1, दंड मुद्रा, वितत मुद्रा, डमरूहस्त
मुद्रा, सांजलि मुद्रा।
स्नायुतंत्र की समस्याएँ (स्नायु तंत्र में रूकावट, स्नायुतंत्र में खिंचाव)तत्त्व मुद्रा, मालिनी मुद्रा, मुष्टिक मुद्रा, सिंहक्रान्त मुद्रा। सर्दी- विस्मय वितर्क मुद्रा, वनमाला मुद्रा, सम्पुट मुद्रा, चपेटदान मुद्रा। सायनस- सकलीकृति मुद्रा, परशु मुद्रा, त्रिशूल मुद्रा, बुद्धाश्रमण मुद्रा। सिर दर्द- गणपति मुद्रा, विष्वक्सेन मुद्रा, अभय मुद्रा, मत्स्य मुद्रा,
कर्तरीहस्त मुद्रा। स्मरण शक्ति की समस्या- सप्तजिह्वा मुद्रा, अस्त्र मुद्रा, पंचमुख मुद्रा,
अर्धचन्द्र मुद्रा, नेत्र मुद्रा।