________________
302... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में विधि
इस मुद्रा में दोनों हथेलियों को आमने-सामने कर तर्जनीयों को एक-दूसरे से स्पर्शित करते हुए सीधा रखें तथा शेष अंगुलियों एवं अंगूठों को बाहर की तरफ अन्तर्ग्रथित करने पर उत्तराबोधि मुद्रा बनती है।38 लाभ __ चक्र- विशुद्धि एवं आज्ञा चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थिथायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पीयूष ग्रन्थि केन्द्र- विशुद्धि एवं दर्शन केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुंह, स्वर यंत्र, स्नायु तंत्र, निचला मस्तिष्क। 25. वंदन मुद्रा
यह मुद्रा हिन्दू एवं बौद्ध उभय परम्पराओं में प्रचलित है। इस मुद्रा को अमूल्य वस्तु एवं सद्विचारों से युक्त होने की सूचक माना गया है।
इस मुद्रा का चित्र इस तरह का दिखाई देता है कि वह किसी भी वस्तु को
धारण क
वंदन मुद्रा