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294... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में द्वितीय प्रकार
स्वस्तिक मुद्रा के दूसरे प्रकार में हथेली एवं अंगुलियाँ मध्यभाग की तरफ फैली हुई तथा दोनों हाथ कलाई पर Cross करते हुए रहते हैं।30
स्वस्तिक मुद्रा-2
लाभ
चक्र- मूलाधार एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- पृथ्वी एवं आकाश तत्त्व ग्रन्थि- प्रजनन एवं पिनियल ग्रन्थि केन्द्र- शक्ति एवं ज्योति केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँख। तृतीय प्रकार
स्वस्तिक मुद्रा के तीसरे प्रकार में दायीं हथेली एवं अंगुलियाँ मध्यभाग की तरफ रहती है तथा बायीं हथेली ऊर्ध्वाभिमुख, अंगुलियाँ अर्ध चन्द्र के समान