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288... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
तृतीय विधि
सूची मुद्रा का तीसरा प्रकार नाटक आदि में दिखाया जाता है। यह मुद्रा धमकी, आश्चर्य एवं कुम्हार चक्र की सूचक है।
इस मुद्रा में बायीं हथेली को सामने की तरफ करके तर्जनी अंगुली और अंगूठे को उर्ध्व प्रसरित तथा शेष अंगुलियों को हथेली में मोड़ते हैं।23
सूची मुद्रा-3
लाभ
चक्र- स्वाधिष्ठान, मणिपुर एवं अनाहत चक्र तत्त्व- जल, अग्नि एवं वायु तत्त्व प्रन्थि- प्रजनन, एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं थायमस ग्रन्थि केन्द्रस्वास्थ्य, तैजस एवं आनंद केन्द्र विशेष प्रभावित अंग- मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, नाड़ी तंत्र, पाचन तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, हृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचार प्रणाली।