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हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं का स्वरूप......279 द्वितीय प्रकार
दूसरे प्रकार में अंगुलियाँ हथेली की तरफ इस भाँति मड़ती है कि उनका अग्रभाग अंगूठे को स्पर्श किया हुआ रहता है। इस स्थिति में वह कटक मुद्रा कहलाती है।14
कटक मुद्रा-2 लाभ
चक्र- आज्ञा एवं मूलाधार चक्र तत्त्व- आकाश एवं पृथ्वी तत्त्व ग्रन्थिपीयूष एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र- दर्शन एवं शक्ति केन्द्र विशेष प्रभावित अंगनिचला मस्तिष्क, स्नायु तंत्र, मेरूदण्ड, गुर्दे, पाँव। 12. मयूर मुद्रा
मयूर अर्थात मोर। यह भारत का राष्ट्रीय पक्षी माना जाता है। संस्कृत में इसका नाम भुजंगभुक् है क्योंकि यह सर्यों को निगल जाता है। यह अपनी सुन्दरता के लिए एवं नृत्य के लिए प्रसिद्ध है।
प्रस्तुत मुद्रा में मयूर सदृश मुखाकृति का आभास होता है अत: इसका नाम मयूर मुद्रा है।