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अध्याय-6 हिन्दू एवं बौद्ध परम्पराओं में प्रचलित मुद्राओं
का स्वरूप एवं उपयोगिता
श्रमण संस्कृति एवं वैदिक संस्कृति यद्यपि भारतीय सभ्यता की दो अलग धाराएँ हैं परन्तु दोनों पर एक दूसरे का प्रभाव स्पष्ट रूप से परिलक्षित होता है। दोनों में कुछ बातों को लेकर मत वैभिन्य है तो कहीं-कहीं समर्थन भी। यदि बौद्ध एवं हिन्दू परम्परा में प्राप्त मुद्राओं के स्वरूप एवं प्रयोजन पर दृष्टिपात किया जाए तो कुछेक मुद्राएँ ऐसी है जिनका महत्त्व समान रूप से दोनों ही परम्पराओं में रहा हुआ है। ऐसी ही कुछ मुद्राओं का स्वरूप निम्नोक्त है। 1. अभिषेक मुद्रा
जलपूरित कलश या शंख आदि के द्वारा मूर्ति आदि को प्रक्षालित करना अभिषेक कहलाता है। हिन्दू परम्परानुसार जल छिड़काव करना अथवा मंगल के
अभिषेक मुद्रा