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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ ... 247
7. आहुति मुद्रा
1. दाह, ज्वर, अभिघात आदि को दूर करने के लिए अनामिका और अंगूठे के अग्रभागों को संयुक्त कर आहुति देना चाहिए ।
2. विद्वेष, उच्चाटन, मारण कर्म सम्बन्धी होम में भी उक्त मुद्रा द्वारा ही आहुति देना चाहिए।
3. विघ्न, बाधा दूर करने के लिए तर्जनी और मध्यमा को संयुक्त कर आहुति दें। 4. भूत आदि भय की शान्ति हेतु तर्जनी, मध्यमा और अंगूठे को संयुक्त कर आहुति दें।
5. मोहन, उच्चाटन, क्षोभण तथा आकर्षण आदि कार्यों में कनिष्ठिका, मध्यमा और अंगूठे को मिलाकर आहुति दें।
6. मोहन, वशीकरण एवं प्रीतिवर्द्धन हेतु कनिष्ठिका और प्रदेशिनी के योग से आहुति दें।
7. आकर्षण एवं दूर देशवासी को बुलाने के लिए, तर्जनी और अनामिका के योग से आहुति दें।
आहुति मुद्रा