________________
पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ... 229
6. आचमन मुद्रा
पूजन आदि के पहले शुद्धि हेतु हथेली पर जल लेकर पीना आचमन कहलाता है। यहाँ मन्त्र का उच्चारण करते हुए आचमनीय जल प्रदान करना, आचमन मुद्रा है।
आचमन मुद्रा
सुपरिणाम
चक्र - विशुद्धि, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व - वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्र - विशुद्धि एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि - थायरॉइड, पेराथायरॉइड एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंग- कान, नाक, गला, मुँह, स्वर यंत्र, ऊपरी मस्तिष्क एवं आँख।