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पूजोपासना आदि में प्रचलित मुद्राओं की प्रयोग विधियाँ
हृदयाय मुद्रा
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उच्चारण करना हृदयाय मुद्रा है। 1
सुपरिणाम
इस मुद्रा से निम्न चक्रादि प्रभावित होते हैं- चक्र - अनाहत, आज्ञा एवं सहस्रार चक्र तत्त्व- वायु एवं आकाश तत्त्व केन्द्र - आनंद, ज्योति एवं ज्ञान केन्द्र ग्रन्थि - थायमस, पीयूष एवं पिनियल ग्रन्थि विशेष प्रभावित अंगहृदय, फेफड़ें, भुजाएं, रक्त संचरण प्रणाली, मस्तिष्क, आँख एवं स्नायुतंत्र । 2. कवचाय मुद्रा
कवच अर्थात आवरण। इस मुद्रा के द्वारा सम्पूर्ण शरीर पर रक्षा कवच बनाया जाता है अतः कवचाय मुद्रा नाम है।
दोनों हाथों को cross करते हुए हथेलियों के द्वारा द्वय भुजाओं का स्पर्श करना कवच मुद्रा है।2
इसका मन्त्र है- "ओम् सहु कवचाय हुं । "