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166... हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
यह गायत्री जाप से पूर्व की जाने वाली अंतिम मुद्रा है। इस मुद्रा को करते वक्त साधक के भीतर यह विचार उठना स्वाभाविक है कि अब हम साधना प्रारम्भ के निकट पहुँच चुके हैं उस समय भक्त का अन्तर्मन नवीन विकसित किसलय पत्तों की भाँति सहज ही प्रफुल्लित एवं उत्साहित हो जाता है।
पल्लव का एक अर्थ किनारा है । इस अर्थ के अनुसार इस मुद्रा के द्वारा गायत्री जाप से पूर्व विधि का अन्तिम छोर आता है।
पल्लव मुद्रा साधना की ओर बढ़ती हुई रूचि का संकेत करती हैं। योग तत्त्व मुद्रा विज्ञान में यह मुद्रा साधनाशील भक्तों द्वारा धारण की जाती है। यह गायत्री जाप से पूर्व की जाने योग्य 24 मुद्राओं में से अंतिम है। इस मुद्रा से कैन्सर रोग भी ठीक हो जाता है।
विधि
दाहिने हाथ को कंधे के समान स्तर पर रखते हुए, हथेली को सामने की ओर तथा पाँचों अंगुलियों को आकाश की तरफ ऊपर करने पर जो मुद्रा निष्पन्न होती है उसे पल्लव मुद्रा कहते हैं। यह मुद्रा आशीर्वाद मुद्रा के समान प्रतीत होती है।
पल्लव मुद्रा