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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं...
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इससे सुनिश्चित है कि महाक्रान्त मुद्रा से गायत्री की अपूर्व शक्ति का स्मरण एवं गुणगान किया जाता है। यह यौगिक परम्परा की रहस्य प्रधान मुद्रा है। इसे जाप साधना से पूर्व करते हैं। इससे शरीर निरोगी तथा मन स्वस्थ एवं साधना योग्य बनता है।
विधि
दोनों कन्धों के दोनों ओर अधिक दूरी न रखते हुए एक-एक हाथ को स्थिर करें, हाथ ऊपर की तरफ उठे हुए, अंगुलियाँ आकाश की तरफ फैली हुई तथा हथेलियाँ स्वयं की ओर अभिमुख रहें, इस तरह महाक्रान्त मुद्रा बनती है। 23
महाक्रान्तम् मुद्रा
लाभ
• महाक्रान्त मुद्रा आकाश तत्त्व को प्रभावित कर मानसिक चेतनाओं का पोषण करती है। इससे नि:स्वार्थ वृत्ति, भावुकता, प्रेम भाव का निर्माण होता है। • यह मुद्रा मुख्यरूप से लघु मस्तिष्क को प्रभावित करती है। शरीर में चलने वाली अज्ञात क्रियाओं का नियंत्रण, चलते-दौड़ते समय स्नायुओं का संकलन एवं गर्भ की सभी क्रियाओं का नियंत्रण करने में भी सहायक बनती है।