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गायत्री जाप साधना एवं सन्ध्या कर्मादि में उपयोगी मुद्राओं......157
लाभ
मत्स्य मुद्रा • मत्स्य मुद्रा आकाश एवं जल तत्त्व का संतुलन करती है। इससे हृदय में रक्त प्रवाह सम्बन्धी गड़बड़ियां जैसे (Blocking या Blockage) रक्त के प्रवाह आदि में आई परेशानी दूर होती है। ___ यह आज्ञा चक्र एवं स्वाधिष्ठान चक्र को जागृत करते हुए बुद्धि, स्वास्थ्य केन्द्र एवं ज्योति केन्द्र को प्रभावित करती है जिससे दिमाग शान्त रहता है और वाणी प्रभावी बनती है।
• एक्युप्रेशर पद्धति के अनुसार इससे पेट एवं पेडु सम्बन्धी विकृत्तियाँ, शारीरिक एलर्जी, पेशाब आदि की एलर्जी दूर होती है। . • यह मुद्रा व्यवहारिक एवं आध्यात्मिक दोनों पक्षों को मजबूत करती है। 19. कूर्म मुद्रा
संस्कृत शब्द कूर्म का अर्थ कच्छप, कछुआ है। कूर्म अन्य अर्थों में भी प्रयुक्त होता है।
ब्रह्मा का एक अवतार कूर्म माना जाता है, एक वायु जिसका निवास आँखों में हैं और जिसके प्रभाव से पलके खुलती और बंद होती है, दस प्राणों में से एक प्राण का नाम कूर्म है, विष्णु का दूसरा अवतार कूर्मावतार है। तंत्र विज्ञान के अनुसार एक मुद्रा, जिसका व्यवहार देवता के ध्यान के समय किया