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हिन्दू मुद्राओं की उपयोगिता चिकित्सा एवं साधना के संदर्भ में
हाथ की अंगुलियों के द्वारा बायें अंगूठे के अग्रभाग को पीड़ित करें, फिर बायें हाथ की अंगुलियों के द्वारा दायीं अंगुलियों को अच्छी तरह से बांधकर उस मुद्रा को हृदय पर स्थापित करना बिल्व मुद्रा 165
उपर्युक्त मुद्रा को प्रदर्शित करते समय कामबीज 'क्लीं' का उच्चारण करना चाहिए। इसे ज्ञानियों ने अत्यंत गोपनीय कहा है।
लाभ
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चक्र
मणिपुर एवं स्वाधिष्ठान चक्र तत्त्व- अग्नि एवं जल तत्त्व ग्रन्थि - एड्रीनल, पैन्क्रियाज एवं प्रजनन ग्रन्थि केन्द्र - तैजस केन्द्र एवं स्वास्थ्य केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें, मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे ।
35. काम मुद्रा
यह तन्त्र विज्ञान की एक मुख्य मुद्रा है। यह मुख्यतः विषय-वासनाओं के अधिष्ठाता कामदेव की सूचक होनी चाहिए । इस मुद्रा को देखकर सभी देवीदेवता अत्यन्त आनन्दित और प्रसन्नचित्त होते हैं।
काम मुद्रा