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लाभ
हिन्दू परम्परा सम्बन्धी विविध कार्यों हेतु प्रयुक्त मुद्राओं... ...69
विस्मय मुद्रा - 2
चक्र- स्वाधिष्ठान एवं मणिपुर चक्र तत्त्व - जल एवं अग्नि तत्त्व ग्रन्थि - प्रजनन, एड्रीनल एवं पैन्क्रियाज ग्रन्थि केन्द्र- स्वास्थ्य एवं तैजस केन्द्र विशेष प्रभावित अंग - मल-मूत्र अंग, प्रजनन अंग, गुर्दे, पाचन तंत्र, नाड़ी तंत्र, यकृत, तिल्ली, आँतें।
35. विस्मय वितर्क मुद्रा
यह मुद्रा हिन्दू परम्परा में विस्मय और भय को दर्शाने के लिए धारण की जाती है।
विधि
बायीं हथेली को अन्दर की तरफ करते हुए तर्जनी और मध्यमा को ठुड्डी से स्पर्श करवायें तथा अनामिका और कनिष्ठिका को हथेली की तरफ मोड़ने पर विस्मय वितर्क मुद्रा बनती है। 42